Modi का जादू, भारत में विदेशी निवेश की सुनामी

भारत ने अपने इकोनॉमिक ग्रोथ के सफर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है हाल ही में यह जानकारी सामने आई थी कि देश में डायरेक्ट फॉरेन इन्वेस्टमेंट यानी एफडीआई का फ्लो अप्रैल 2000 से अब तक एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है यह उपलब्धि भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ते कद और ग्लोबल इन्वेस्टर्स के बढ़ते भरोसे का सबूत है आंकड़ों के मुताबिक भारत की जीडीपी का कुल आकार करीब 4 ट्रिलियन डॉलर है जिसमें 2024 25 की पहली तिमाही में 42 1 अरब डॉलर का एफडीआई आया था अप्रैल सितंबर 20224 के दौरान 60 सेक्टर्स में एफडीआई का फ्लो ज्यादा रहा है भारत की इकोनॉमी में इस प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने पिछले दो दशकों में कैटालिस्ट की भूमिका निभाई है इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ ही वैश्विक जगत पर भी देश की साख में इजाफा हुआ है अगर सबसे ज्यादा एफडीआई वाले देशों की बात करें तो पहले नंबर पर मॉरिशियस है जिसका कुल एफडीआई में 25 फीसद योगदान है इसके बाद सिंगापुर 24 पर के साथ दूसरे स्थान पर है और 10 पर हिस्सेदारी के साथ अमेरिका तीसरे स्थान पर है इसके अलावा नीदरलैंड जापान ब्रिटेन का भी एफडीआई में अच्छा खासा योगदान है विदेशी निवेशकों को भारत की तरफ आकर्षित करने में मेक इन इंडिया और इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की पहल ने अहम भूमिका निभाई है मेक इन इंडिया के तहत टर्स में लिबरल पॉलिसीज लागू हुई हैं जबकि जीएसटी लागू होने से इन्वेस्टर्स का भरोसा बढ़ा है वहीं कॉम्पिटेटिव लेबर कॉस्ट और स्ट्रेटेजिक इंसेंटिव्स ने भी एफडीआई को बढ़ाने का काम किया है इसके अलावा ज्यादातर सेक्टर्स में 100 फीसद एफडीआई की मंजूरी भी गेम चेंजर बन गई है और स्टार्टअप्स के लिए एंजल टैक्स खत्म होने के साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती होने से एफडीआई को बढ़ावा मिला है भारत में विदेशी कंपनियों को जिन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा निवेश करना पसंद है उनमें टॉप पर है फाइनेंशियल सर्विसेस आईटी और कंसल्टेंसी इसके अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर टेलीकम्युनिकेशन ट्रेंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट जैसे फील्ड्स में सबसे ज्यादा इन्वेस्ट हुआ है भारत की यह उपलब्धि महज आंकड़ों तक सीमित नहीं है यह देश में जॉब्स के नए मौके बढ़ाने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और इकोनॉमिक रिफॉर्म्स को आगे बढ़ाने में भी मददगार है लेकिन इसे बरकरार रख पाना एक बड़ा चैलेंज होगा और यह सरकारी नीतियों को लगातार बेहतर बनाकर ही संभव हो पाएगा।